प्रश्न : बवासीर की पहचान क्या है?
उत्तर :
यदि शौच करते समय खून आता है, गुदा द्वार (Anus) फूला हुआ लगता है, शौच साफ करते हुए कुछ मस्सा जैसा बढ़ा या महसूस होता है तो यह मस्से वाली बवासीर होती है यह वादी वाली बवासीर हो सकती है, जो खून नहीं देती, लेकिन जो मस्से (vericoz veins) अंदर होते हैं वो जगह घेरते हैं और फटने पर खून देते हैं!
आवाज के साथ पाद आना, गैस बनना, पेट साफ न होना, बच्चों का दस्त जाने से रोना या डरना, गुदा लाल होना, खुजली या खून होना भी बवासीर के लक्षण हैं!
प्रश्न : फ़िसर क्या होती है?
उत्तर : गुदा द्वार पर खुजली, जलन या दर्द हो तो जख्म के कारण दर्द होता है जिसे फिसर कहते हैं! जो थोड़ा थोड़ा या कभी कभी से आगे बढ़कर बहुत ज्यादा हो जाता है असहनीय और हर समय का दर्द हो जाता है! यह फिसर कहलाता है!
प्रश्न : कब्ज किसे कहते हैं और यह क्यों होता है!
उत्तर : पेट साफ नहीं होने को कब्ज कहते हैं, दस्त बार बार जाना, दस्त कठोर आना, कई कई दिन दस्त नहीं जाना यह सब कब्ज के लक्षण हैं!
कब्ज के लगातार रहने से बवासीर या फिसर या दोनों हो जाते हैं!
कब्ज खत्म करने केलिए भोजन में मोटा आटा, हरी सब्जियां, छिलका वाली मूंग मसूर की दालें, लौकी, तोरई, परमल, पपीता, सेव, खीरा का प्रयोग अधिक करें!
चावल, आलू, उर्द की दाल, पूरी, परांठा, मिर्ची, अरबी, बैंगन, भिंडी, राजमा, ज्यादा खट्टी दही, इमली, टाटरी की खटाई, अजीनो मोटो का प्रयोग न करें!
प्रश्न : बवासीर और फिसर के इलाज की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर :: बवासीर और फिसर के इलाज में अनेक देशी जड़ीबूटी प्रचलित हैं, बाजार में अनेक कैप्सूल और गोली उपलब्ध हैं लेकिन यह कोई स्थाई इलाज नहीं हैं चाहें सस्ता हो या महंगा !
सर्जन के पास जायेंगे तो वो खून जांच, अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी इत्यादि करने के बाद बताएंगे कि आपको ऑपरेशन करवाना होगा, लेकिन हम संजीवनी क्लीनिक पर साधारण जांच से ही यह सब बता देते हैं, बस आधा घंटा का समय निकाल कर आप
यह वास्तव में टीका या इंजेक्शन नहीं होता है, एक गाढ़ा ऑयली सम्मिश्रण होता है, जिसे इसी विषय के कुशल और अनुभवी चिकित्सक द्वारा मस्से ढूंढकर उसी पर लगाया जाता है, यह टेक्निकली प्रॉसेस है, मस्सा दिखाई नहीं देगा तो इलाज पूरा नहीं हो पाएगा, और हर चिकित्सक इसे नहीं कर सकता!
यह पूरे शरीर पर असर नहीं करता है जहां लगता है उसी पर असर करता है!
टीका देने के बाद एक दो घंटे तीखा दर्द रहता है, लेकिन थोड़ा बहुत दर्द दस से पंद्रह दिन रहता है, जो इलाज का हिस्सा है, बिना दर्द का इलाज संभव नहीं है, लेकिन किसी किसी को दर्द नहीं होता या अगले ही दिन से होता हुआ भयंकर दर्द भी ठीक हो जाता है! सर्जन के इलाज में खर्च तीस हजार से एक लाख तक हो सकता है लेकिन हमारे इलाज में 5000 से 8000 में आदमी स्वस्थ हो जाता है, बिना भर्ती आधा घंटा बाद ही मरीज घर जा सकता है, लिखी गईं दवाइयां लेते रहनी चाहिए, और हर दस दिन पर मिलते रहना नहीं, एक से दो महीना में बिल्कुल ठीक हो जाते हैं!
95% सफल नतीजे रहते हैं!
बाकी भी एक दो बार और इलाज देने से ठीक हो जाते हैं!
दुबारा इलाज में खर्च एक साल के अंदर आने पर आधा ही लगता है, लेकिन फीस 500 रुपया हर बार लगती है!
ऑनलाइन सलाह भी उपलब्ध है जिसके लिए फीस भी ऑनलाइन दे सकते हैं!
भगंदर को देखकर बताते हैं कि इलाज हो पाएगा या नहीं! कैंसर रोगी को इलाज नहीं देते हैं!
प्रश्न : बवासीर फिसर रोगी को क्या क्या परहेज रखना चाहिए?
उत्तर : बवासीर फिसर के रोगी को दस्त सख्त नहीं आए और साफ अच्छे से सुबह शाम साबुन से गुदा द्वार करें, इससे रोगी सुखी रहते हैं!
सुपाच्य भोजन दिन में चार बार लें, पानी रोज पांच लीटर तो जरूर पीना चाहिए!
भारतीय शैली वाला शौचालय प्रयोग करें और हाथ से साफ करें या गुब्बारा से अच्छे से साफ करें! इंग्लिश टाइप टॉयलेट का प्रयोग करने से बचें, और करें भी तो सफाई अच्छे से करें!
इलाज के बाद भी बताए गए परहेज करें! ईसवगोल, त्रिफला, हरी सब्जियां, दूध, दही प्रयोग कर सकते हैं, भूखे पेट नहीं रहना है!
परहेज का अर्थ होता है जिनसे ज्यादा प्यार करते हो उसे अलग कर दो, दूर कर दो, इसलिए किसी भी तरह की अति न करें!